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हीरो एक बार देखने लायक है, (स्टार 2).

            कहते है कि नकल के लिए भी अकल चाहिए, बॉलीवुड तो नकल करने में माहिर है, वह अलग बात है कि नकल की गई फिल्में कभी कभी बॉक्स ऑफिस पर हिट होती है तो कई बार फ्लॉप. 1983 में सुभाष घई कि फ़िल्म "हीरो" आई, कहानी एक गुंडा मव्वाली लड़का एक पुलिस ऑफिसर की लड़की का अपहरण करता है, लड़का गुंडा होने के बावजूद उसकी निर्भीकता और सरलता को देख लड़के से लड़की को प्यार हो जाता है. यह रिश्ता शायद ही घरवालों को मंजूर हो, खैर हिन्दी फिल्मों का एंडिंग हेप्पी एंडिंग ही होता है तो सुभाष जी ने भी राधा - जयकिशन का मिलन कर फ़िल्म हेप्पी एंडिंग कर दी. दर्शक ने भी इस फ़िल्म के साथ गानो को भी खूब पसंद किया. अब हम 2015 कि बात करते है कहानी वही सूरज आय जी की लड़की राधा का अपहरण करता है, और वही होना है जो उस फ़िल्म में हुआ इस फ़िल्म में भी राधा को सूरज से प्यार हो जाता है.और वही हा ना हा ना कुछ लड़ाई फाइट सीन और हीरो की राधा संग शादी हो जाती है.
        फ़िल्म में आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली और सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी की पहली फ़िल्म जिसे सहयोग करने का बीड़ा उठाया, सलमान खान ने. यह फ़िल्म सलमान खान प्रोडक्शन तले बनी, यहा तक 'मैँ हूँ हीरो तेरा' को सलमान ने अपनी आवाज़ दी, प्रमोशन के लिए सलमान ने भी जी जान लगा दी और सूरज - अथिया ने भी, निर्देशक निखिल आडवाणी के लिए एक चुनौती थी, न्यू कमर को लोंगो तक ले जाना है . हा कामयाबी हासिल नही कर पाए, सूरज ने अपनी पिजिक तो बना ली पर एक्टिंग से कोसों दूर् नजर आए, अथिया को फिर एक्टिंग क्लास जॉइंट करने की अवश्कता है.  इसलिए लिए कहा की नकल के लिए भी अकल चहिए , जो निखिल आडवाणी नही कर पाए, फ़िल्म के कई द्रुश्य को देख लगता है किया हो गया है निखिल को. क्यो.. 
        सुना था की फ़िल्म की एडिटिंग पर सलमान खान भी थे, सलमान ने फ़िल्म की आधे घंटे की अवधि भी कम कराई थी. सलमान भाई इसके बाद भी यह हीरो. सॉन्ग भी 'मैँ हूँ हीरो तेरा' तेरा छोड़ कर्ण प्रिय नही है. ..कभी कभी गलती से गलती हो जाती है सो लगता है हो गई... हीरो एक बार देखने लायक है,  बस आपको 1983 की हीरो को याद न कर के. ..   
 
पुष्कर ओझा